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S4 स्वयं की समझ PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER SOLUTION

S4 स्वयं की समझ 2025 प्रश्न पत्र का हल

स्वयं की समझ PREVIOUS YEAR QUESTION PAPERWITH ANSWER 

Table of Contents

 

टॉपिक बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड ईयर S4 स्वयं की समझ 2025 प्रश्न पत्र 
कोर्स बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड ईयर
विषय कोड S 4
विषय का नाम स्वयं की समझ
SUBJECT NAME Understanding Towards Your self previous year question paper

Swayam ki samajh previous year question paper




S4 स्वयं की समझ 2025 प्रश्न पत्र

BIHAR D.El.El 2ND YEAR PAPER S-4 PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER
BIHAR D.El.El 2ND YEAR PAPER S-4 PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER




 

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S4 स्वयं की समझ प्रश्न PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER WITH SOLUTION

BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR PAPER S4 स्वयं की समझ 2025 PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER SOLUTION

(01) प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए स्वयं से आप क्या-क्या विश्लेषण करेंगे ?-2025

Q-What is personality ? How will you do self analysis to know your personality

उत्तर-
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के गुणों, व्यवहार, भावनाओं, सोच, दृष्टिकोण और सामाजिक व्यवहार का समग्र स्वरूप है, जो उसे दूसरों से भिन्न बनाता है। अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए व्यक्ति को आत्म-विश्लेषण करना आवश्यक है। इसके लिए मैं अपनी रुचियों, क्षमताओं, कमजोरियों, व्यवहार शैली, भावनात्मक प्रतिक्रिया, दूसरों के साथ संवाद कौशल, निर्णय लेने की क्षमता तथा जीवन मूल्यों का विश्लेषण करूंगा। साथ ही अपने लक्ष्य, आदतों, प्रेरणाओं और परिस्थितियों में मेरे व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों पर भी विचार करूंगा। इस प्रकार आत्म-मूल्यांकन से अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को समझा जा सकता है।

—–समाप्त—–

अथवा / OR 

(01) प्रश्न- अस्मिता से आप क्या समझते हैं ?-2025  

उत्तर-
अस्मिता से तात्पर्य व्यक्ति की पहचान, अस्तित्व और स्वयं के प्रति उसकी जागरूकता से है। यह वह भावना है जिसके माध्यम से व्यक्ति यह समझता है कि वह कौन है, उसकी विशेषताएँ, मूल्य, क्षमताएँ और जीवन लक्ष्य क्या हैं। अस्मिता व्यक्ति के आत्म-विश्वास, आत्म-सम्मान और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करती है। यह परिवार, समाज, संस्कृति, अनुभवों और शिक्षा से विकसित होती है। जब व्यक्ति अपनी शक्तियों, कमजोरियों, रुचियों और मूल्यों को पहचानता है, तब उसकी अस्मिता स्पष्ट होती है। स्वस्थ अस्मिता व्यक्ति को निर्णय लेने, चुनौतियों का सामना करने और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।

—–समाप्त ——

प्रश्न (02) किसी व्यक्ति की नृजातीय पहचान की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?-2025  

Ques- What are the characteristics of ethnic identification of a person?

उत्तर –

नृजातीय पहचान किसी व्यक्ति की उस सामाजिक पहचान को दर्शाती है जिसमें वह अपने समूह की सांस्कृतिक, भाषाई, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत से जुड़ा होता है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में समान भाषा, रीति-रिवाज, परंपराएँ, धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक मूल्य शामिल होते हैं। नृजातीय पहचान व्यक्ति में ‘हम-भाव’ पैदा करती है, जिससे वह अपने समूह के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होने का अनुभव करता है। यह पहचान व्यक्ति के व्यवहार, दृष्टिकोण और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति को आत्म-सम्मान, सुरक्षा एवं सामाजिक स्वीकृति की भावना मिलती है और वह अपने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित रखने का प्रयास करता है।

अथवा / OR 

प्रश्न – अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए सेल्फ पोर्ट्रेट का क्या महत्व है ?

Ques- What is the importance of self-portrait to know your personality?

उत्तर –

सेल्फ पोर्ट्रेट व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को समझने और अभिव्यक्त करने का एक रचनात्मक माध्यम प्रदान करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने रूप, भावनाओं, रुचियों और आत्म-छवि को प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत करता है। यह आत्म-चिंतन को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति अपनी कमजोरियों, क्षमताओं और आंतरिक भावनाओं को पहचान पाता है। सेल्फ पोर्ट्रेट बनाते समय व्यक्ति अपने असली स्वरूप से जुड़ता है और अपनी पहचान को गहराई से खोजता है। यह आत्मविश्वास, आत्म-स्वीकृति और आत्म-समझ को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति अधिक स्पष्टता के साथ स्वयं को समझ पाता है।

(03) प्रश्न – आत्म-अभिप्रेरणा क्या है ? आत्म-अभिप्रेरणा को सबल बनाने के लिए आप क्या करेंगे ?-2025

Ques- What is self-motivation? What will you do for strengthening self-motivation

उत्तर –

आत्म-अभिप्रेरणा वह आंतरिक शक्ति है जो व्यक्ति को बिना बाहरी दबाव के अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह व्यक्ति की रुचियों, मूल्यों और आत्म-विश्वास पर आधारित होती है। आत्म-अभिप्रेरणा को सबल बनाने के लिए मैं स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करूँगा, अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखूँगा और छोटे-छोटे कार्यों में सफलता पाकर आत्मविश्वास बढ़ाऊँगा। सकारात्मक सोच अपनाना, प्रेरक वातावरण बनाना तथा असफलताओं से सीख लेना भी आवश्यक है। साथ ही, स्वयं को नियमित रूप से प्रोत्साहित करने, समय प्रबंधन करने और अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करने से भी आत्म-अभिप्रेरणा मजबूत होती है।

अथवा / OR

प्रश्न – पेशेवर विकास के लिए शिक्षक प्रोफाइल क्यों आवश्यक है ?

Ques- Why is the teacher profile necessary for professional development ?

उत्तर:
पेशेवर विकास के लिए शिक्षक प्रोफाइल अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह शिक्षक की योग्यताओं, कौशलों, अनुभवों और उपलब्धियों का संगठित दस्तावेज प्रस्तुत करती है। शिक्षक प्रोफाइल के माध्यम से शिक्षक अपने शिक्षण दृष्टिकोण, कक्षा प्रबंधन शैली, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नवाचारों और मूल्यांकन क्षमताओं को स्पष्ट रूप से दर्शा सकता है। यह प्रोफाइल शिक्षक को आत्म-मूल्यांकन का अवसर देती है, जिससे वह अपनी कमजोरियों और सुधार के क्षेत्रों को पहचान पाता है। साथ ही, यह पदोन्नति, प्रशिक्षण अवसरों, शोध कार्य और सहयोगात्मक शिक्षण में भी सहायक होती है। कुल मिलाकर, शिक्षक प्रोफाइल पेशेवर पहचान मजबूत करती है और निरंतर विकास को दिशा प्रदान करती है।

(04)प्रश्न – आप में क्या-क्या सद्गुण हैं, उसकी सूची बनाएँ । किसी एक सद्गुण को आप शिक्षण में किस प्रकार उपयोग करेंगे ? – 2025

Ques- Enlist your virtues. How will you use any ofic of the virtues in teaching ?

उत्तर:

मेरे (काल्पनिक) सद्गुणों की सूची :

  1. धैर्य

  2. सहानुभूति

  3. संवाद कौशल

  4. ईमानदारी

  5. सकारात्मक सोच

  6. सहयोग की भावना

  7. समय पालन

  8. जिम्मेदारी

  9. रचनात्मकता

  10. आत्म-अनुशासन

किसी एक सद्गुण का शिक्षण में उपयोग (उदाहरण : धैर्य)
शिक्षण में धैर्य बहुत महत्वपूर्ण है। धैर्य के माध्यम से शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी की सीखने की गति को समझ पाता है और उसके अनुरूप सहायता प्रदान करता है। धैर्यवान शिक्षक विद्यार्थियों के प्रश्नों को शांतिपूर्वक सुनता है, कठिन अवधारणाओं को बार-बार समझाता है और ऐसा वातावरण बनाता है जिसमें विद्यार्थी बिना झिझक सीख सकें। इससे सीखने की प्रक्रिया सहज और प्रभावी बनती है।

अथवा / OR

प्रश्न – दैनिक रिफ्लेक्टिव डायरी के महत्व के बारे में वर्णन कीजिए ।

Ques- Describe about the importance of daily reflective diary.

उत्तर:
दैनिक रिफ्लेक्टिव डायरी का महत्व शिक्षण और व्यक्तिगत विकास दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह शिक्षक या विद्यार्थी को प्रतिदिन के अनुभवों, गतिविधियों, समस्याओं और सीख को लिखने का अवसर देती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने व्यवहार, निर्णयों और कार्यप्रणाली का आत्म-मूल्यांकन कर पाता है। रिफ्लेक्टिव डायरी आत्म-चिंतन की आदत विकसित करती है, जिससे व्यक्ति अपनी कमजोरियों और सुधार योग्य क्षेत्रों की पहचान करता है। यह सीखने की निरंतरता बढ़ाती है, सकारात्मक परिवर्तन को प्रोत्साहित करती है और पेशेवर दक्षता को सुदृढ़ बनाती है। साथ ही, यह भविष्य की योजना बनाने और बेहतर शिक्षण रणनीतियाँ विकसित करने में भी सहायक होती है।

(05)प्रश्न –  शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित करनेवाले कारकों का उल्लेख कीजिए । -2025

Ques- Mention the factors affecting the behaviour of teacher.

उत्तर:
शिक्षक के व्यवहार को कई व्यक्तिगत, सामाजिक तथा संस्थागत कारक प्रभावित करते हैं। प्रमुख कारक इस प्रकार हैं—

  1. व्यक्तित्व विशेषताएँ – जैसे धैर्य, सहानुभूति, आत्मविश्वास, भावनात्मक परिपक्वता।

  2. शैक्षिक योग्यता और प्रशिक्षण – विषय ज्ञान, शिक्षण कौशल और पेडागॉजी।

  3. अनुभव – अधिक अनुभव व्यवहार को शांत, प्रभावी और व्यावहारिक बनाता है।

  4. प्रेरणा और दृष्टिकोण – शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यवहार को सकारात्मक रखता है।

  5. विद्यालय का वातावरण – सहयोगी स्टाफ, संसाधन व प्रशासनिक समर्थन।

  6. विद्यार्थियों का व्यवहार – छात्रों की विविधता, अनुशासन और सीखने की गति।

  7. सामाजिक एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि – सामाजिक मूल्य, सांस्कृतिक कारक और पारिवारिक समर्थन।

अथवा / OR

प्रश्न – आत्म-विश्वास के विकास के क्या-क्या उपाय हैं ?

Ques- What are the measures for the development of self-confidence?

उत्तर:
आत्म-विश्वास के विकास के कई प्रभावी उपाय हैं, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत और सकारात्मक बनाते हैं। प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं—

  1. स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना – छोटे-छोटे लक्ष्य तय कर उन्हें पूरा करने से आत्म-विश्वास बढ़ता है।

  2. सकारात्मक सोच अपनाना – नकारात्मक विचारों को हटाकर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।

  3. अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना – कौशलों को पहचानकर उनका नियमित अभ्यास करना।

  4. सफलताओं का मूल्यांकन – अपनी उपलब्धियों को याद रखना और उनका जश्न मनाना।

  5. असफलताओं से सीखना – विफलता को कमजोरी नहीं, सीखने का अवसर मानना।

  6. अच्छी संगति रखना – प्रेरक और सहयोगी लोगों के साथ रहना।

  7. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान – योग, व्यायाम और ध्यान आत्म-विश्वास बढ़ाने में सहायक होते हैं।

खण्ड – ख / Section – B

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions

किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 200 से 250 शब्दों में दें।

Answer any one question in approximately 200 to 250 words.

 

6.प्रश्न – विद्यालय संस्कृति के आयामों के बारे में वर्णन कीजिए ।

Q- Describe about the dimensions of school culture.

उत्तर — 

भूमिका :
विद्यालय संस्कृति वह समग्र माहौल, मूल्य, व्यवहार, परंपराएँ और गतिविधियाँ हैं जो किसी विद्यालय को उसकी विशिष्ट पहचान प्रदान करती हैं। यह विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा विद्यालय समुदाय के बीच संबंधों की गुणवत्ता को दर्शाती है। एक सकारात्मक विद्यालय संस्कृति सीखने के वातावरण को प्रेरक बनाती है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होती है।

विद्यालय संस्कृति के प्रमुख आयाम :

  1. मूल्य एवं विश्वास – विद्यालय किन नैतिक मूल्यों, आचरण सिद्धांतों और शैक्षिक विश्वासों को बढ़ावा देता है, यही विद्यालय संस्कृति का केंद्र बिंदु है।

  2. शिक्षण-अधिगम वातावरण – कक्षाओं में अनुशासन, शिक्षण विधियाँ, सीखने के अवसर, प्रेरक गतिविधियाँ और संसाधनों का उपयोग संस्कृति को उन्नत बनाते हैं।

  3. नेतृत्व शैली – प्रधानाचार्य एवं शैक्षिक नेतृत्व की शैली विद्यालय के वातावरण को प्रभावित करती है। लोकतांत्रिक, सहयोगात्मक नेतृत्व संस्कृति को सकारात्मक दिशा देता है।

  4. सामाजिक संबंध और संवाद – शिक्षक-विद्यार्थी, शिक्षक-शिक्षक तथा विद्यार्थी-विद्यार्थी के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध विद्यालय संस्कृति का महत्वपूर्ण आयाम है।

  5. नियम, परंपराएँ और रीति-रिवाज़ – विद्यालय के समारोह, परंपराएँ, दैनिक दिनचर्या, अनुशासन के नियम और व्यवहार मानक संस्कृति को सुव्यवस्थित बनाते हैं।

  6. भौतिक परिवेश – स्वच्छ, सुरक्षित और प्रेरक भौतिक वातावरण विद्यालय संस्कृति की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है।

  7. अभिभावक एवं समुदाय सहभागिता – समुदाय और अभिभावकों की सहभागिता विद्यालय संस्कृति को मजबूत और समावेशी बनाती है।

निष्कर्ष :
उपरोक्त सभी आयाम मिलकर विद्यालय संस्कृति को एक समग्र, जीवंत और प्रेरक रूप प्रदान करते हैं। एक सकारात्मक विद्यालय संस्कृति न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाती है, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, अनुशासन, सहयोग और नैतिक चरित्र का विकास भी सुनिश्चित करती है। ऐसी संस्कृति ही आदर्श विद्यालय का आधार बनती है।

7.प्रश्न – निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें | 2 × 5 = 10

(क) व्यक्तिगत अस्मिता

(ख) शिक्षक प्रोफाइल का महत्व

(ग) मननात्मक शिक्षक के गुण

(घ) सेल्फ बनाम ईगो

Write short notes on any two of the following

(a) Personal identity

(b) Importance of teacher profile

(c) Quality of reflective teacher

(d) Self us Ego.

प्रश्न (क) व्यक्तिगत अस्मिता 

उत्तर –

व्यक्तिगत अस्मिता वह भावना है जिसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं को एक अलग, विशिष्ट और अद्वितीय पहचान वाले इंसान के रूप में देखता है। इसमें व्यक्ति के मूल्य, विश्वास, क्षमताएँ, रुचियाँ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण शामिल होते हैं। व्यक्तिगत अस्मिता व्यक्ति की आत्म-धारणा को मजबूत करती है और उसे जीवन में निर्णय लेने, लक्ष्य निर्धारित करने तथा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है। स्वस्थ अस्मिता सामाजिक संबंधों में आत्मविश्वास बढ़ाती है और व्यक्ति को अपनी भूमिकाओं एवं जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में सहायता करती है। इस प्रकार यह समग्र व्यक्तित्व विकास का मूल आधार है।


प्रश्न (ख) शिक्षक प्रोफाइल का महत्व  

उत्तर –

शिक्षक प्रोफाइल किसी शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, शिक्षण शैली, उपलब्धियों और व्यावसायिक मानकों का संक्षिप्त विवरण होता है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिक्षक की क्षमताओं और विशेषज्ञता को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। विद्यालय प्रशासन द्वारा नियुक्ति, प्रशिक्षण, मूल्यांकन तथा जिम्मेदारियों के निर्धारण में यह प्रोफाइल उपयोगी होता है। विद्यार्थियों और अभिभावकों को भी शिक्षक की योग्यता तथा शिक्षण दृष्टिकोण जानने में सहायता मिलती है। इससे शिक्षक में आत्मनिरीक्षण, पेशेवर विकास और सुधार की प्रेरणा उत्पन्न होती है। एक सशक्त शिक्षक प्रोफाइल शिक्षक की विश्वसनीयता और पेशेवर पहचान को मजबूत बनाता है।


प्रश्न-(ग) मननात्मक शिक्षक के गुण 

उत्तर –

मननात्मक शिक्षक वह होता है जो अपने शिक्षण, व्यवहार और निर्णयों पर निरंतर विचार करके स्वयं में सुधार लाने का प्रयास करता है। ऐसे शिक्षक के गुणों में आत्म-चिंतन की क्षमता, फीडबैक स्वीकार करने का दृष्टिकोण, गलतियों से सीखने का साहस और सीखने की निरंतर इच्छा शामिल है। वे विद्यार्थियों की आवश्यकताओं का विश्लेषण करते हुए अपनी शिक्षण विधियों में परिवर्तन लाते हैं। मननात्मक शिक्षक लचीला, रचनात्मक और संवेदनशील होता है। वह कक्षा के अनुभवों को समझकर बेहतर रणनीतियाँ विकसित करता है। ऐसे शिक्षक प्रभावी अधिगम वातावरण का निर्माण करते हैं और विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देते हैं।


प्रश्न- (घ) सेल्फ बनाम ईगो 

उत्तर –

सेल्फ व्यक्ति की वास्तविक पहचान, आंतरिक चेतना, मूल्य और आत्म-स्वीकृति को दर्शाता है। यह विनम्र, संतुलित और यथार्थवादी होता है तथा व्यक्ति को सही निर्णय लेने में मार्गदर्शन देता है। इसके विपरीत, ईगो वह मानसिक संरचना है जो व्यक्ति को स्वयं को श्रेष्ठ या अधिक महत्वपूर्ण दिखाने की प्रवृत्ति से जोड़ती है। ईगो अक्सर तुलना, प्रतिस्पर्धा, असुरक्षा और अहंकार को जन्म देता है। जहाँ सेल्फ आत्मविकास और सकारात्मक संबंधों को प्रोत्साहित करता है, वहीं ईगो रिश्तों में तनाव और गलतफहमी बढ़ा सकता है। संतुलित जीवन के लिए सेल्फ को मजबूत और ईगो को नियंत्रित रखना आवश्यक है।




 

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