TOPIC | EPC 1 B.Ed NOTES IN HINDI |
MEDIUM | HINDI |
COURSE | B.Ed |
YEAR | 1st YEAR |
प्रश्न: – भाषा शिक्षण बालकों को किस प्रकार हर स्तर पर कराया जा सकता है? इसमें एक शिक्षक की भूमिका की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: भाषा शिक्षण क्या है?
भाषा शिक्षण का तात्पर्य बालकों को सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना सिखाने की प्रक्रिया से है। यह न केवल संप्रेषण का माध्यम बनता है, बल्कि उनके बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी सहायक होता है।
बालकों को हर स्तर पर भाषा शिक्षण कैसे कराया जा सकता है?
(i) प्रारंभिक स्तर (प्राथमिक कक्षा)
- गतिविधि आधारित शिक्षा: जैसे कहानी सुनाना, कविता पाठ, चित्रों के माध्यम से शब्द सिखाना।
- श्रवण और उच्चारण सुधार: बच्चों को सही ढंग से सुनने और बोलने के अभ्यास कराना।
- खेल-खेल में भाषा: शब्दों से संबंधित खेल जैसे — शब्द जोड़ो, सही शब्द पहचानो।
(ii) माध्यमिक स्तर
- वाचन और लेखन पर जोर: कहानी पढ़ना, छोटे अनुच्छेद लिखवाना।
- व्याकरण का सरल शिक्षण: उदाहरणों द्वारा नियम सिखाना।
- रोल प्ले / संवाद लेखन: संवाद और नाटकों के माध्यम से व्यावहारिक भाषा प्रयोग।
(iii) उच्च माध्यमिक स्तर
- रचनात्मक लेखन: निबंध, पत्र, अनुच्छेद लेखन।
- भाषा में गहराई लाना: मुहावरे, लोकोक्तियाँ, व्याकरणिक त्रुटियाँ पहचानना।
- विचार-विमर्श और वाद-विवाद: विचारों की अभिव्यक्ति का विकास।
भाषा शिक्षण में शिक्षक की भूमिका (उदाहरण सहित):
(i) मार्गदर्शक की भूमिका:
शिक्षक बच्चों को भाषा के सही उपयोग का मार्गदर्शन देता है।
उदाहरण:
यदि कोई बच्चा ‘आया’ और ‘लाया’ में अंतर नहीं समझ पा रहा है, तो शिक्षक उसे चित्र या क्रिया द्वारा स्पष्ट करता है –
चित्र: “माँ बाज़ार से फल लायी, और मेहमान घर आये।”
(ii) प्रेरक की भूमिका:
शिक्षक छात्रों को भाषाई गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।
उदाहरण:
भाषा मेले का आयोजन कराना, जहाँ बच्चे पोस्टर, कविता, कहानियाँ प्रदर्शित करें।
(iii) संसाधन प्रदाता की भूमिका:
शिक्षक बच्चों को कहानियों की किताबें, शब्दकोश, चित्र आदि उपलब्ध कराता है।
(iv) भाषा वातावरण निर्माता:
शिक्षक कक्षा में ऐसा वातावरण बनाता है जिसमें बच्चे सहज रूप से भाषा सीखें।
उदाहरण:
“आज का शब्द”, “शब्द पहेली”, “कहानी सुनाओ प्रतियोगिता” जैसी गतिविधियाँ।
निष्कर्ष:
भाषा शिक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक बच्चों के मानसिक स्तर और रुचियों के अनुसार उपयुक्त विधियाँ अपनाकर भाषा को रोचक और प्रभावी बना सकता है। उदाहरणों, गतिविधियों और अभ्यासों के माध्यम से भाषा शिक्षण को सहज, सजीव और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।