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कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत वन-लाइनर | Kohlberg Moral Development Theory One liner

कोहलबर्ग का सिद्धांत

कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत वन-लाइनर

TOPIC कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत वन-लाइनर
Kohlberg Moral Development Theory One liner
EXAM CTET
EXAM DATE  8 FEBRUARY 2026
OFFICIAL WEBSITE CTET OFFICIAL
OTHER WEBSITE AB JANKARI
PAPER PAPER(1 & 2 )

VVI NOTES के एस पेज में कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत वन-लाइनर से सम्बन्धित जानकारी दिया गया है , जो CTET PAPER -1 एवं CTET PAPER -2 में पूछे जा सकते है |




Kohlberg Moral Development Theory One liner

 

    • कोहलबर्ग सिद्धांत – CTET वन-लाइनर (Hindi)
    • लॉरेंस कोहलबर्ग ने नैतिक विकास का सिद्धांत दिया।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत नैतिक तर्क (Moral Reasoning) पर आधारित है।
    • यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति सही-गलत का निर्णय कैसे करता है।
    • कोहलबर्ग के अनुसार नैतिक विकास क्रमिक होता है।
    • कोहलबर्ग ने नैतिक विकास को 3 स्तरों में बाँटा।
    • प्रत्येक स्तर में 2-2 चरण होते हैं।
    • कुल मिलाकर कोहलबर्ग के 6 चरण माने जाते हैं।
    • पहला स्तर पूर्व-परंपरागत स्तर कहलाता है।
    • पूर्व-परंपरागत स्तर में दंड और आज्ञाकारिता प्रमुख होती है।
    • इस स्तर पर बच्चा दंड से बचने के लिए सही व्यवहार करता है।
    • दूसरा चरण स्वार्थ सिद्धांत से संबंधित है।



    • इस चरण में व्यक्ति अपने लाभ को प्राथमिकता देता है।
    • दूसरा स्तर परंपरागत नैतिक स्तर कहलाता है।
    • इस स्तर में सामाजिक नियमों का पालन किया जाता है।
    • अच्छा बालक-अच्छी बालिका अभिविन्यास इसी स्तर में आता है।
    • समाज की स्वीकृति महत्वपूर्ण मानी जाती है।
    • कानून और व्यवस्था चरण परंपरागत स्तर का भाग है।
    • इस चरण में नियमों का पालन कर्तव्य माना जाता है।
    • तीसरा स्तर उत्तर-परंपरागत नैतिक स्तर कहलाता है।
    • यह स्तर बहुत कम लोगों में पाया जाता है।
    • इस स्तर में नैतिक सिद्धांत सर्वोपरि होते हैं।
    • सामाजिक अनुबंध चरण उत्तर-परंपरागत स्तर में आता है।
    • व्यक्ति मानव अधिकारों को महत्व देता है।
    • सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत अंतिम चरण है।
    • इस चरण में अंतरात्मा के अनुसार निर्णय लिया जाता है।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत पियाजे के सिद्धांत से प्रभावित है।
    • कोहलबर्ग ने साक्षात्कार विधि का प्रयोग किया।
    • हाइन्ज दुविधा कोहलबर्ग की प्रसिद्ध समस्या है।
    • कोहलबर्ग के अनुसार नैतिक विकास उम्र से जुड़ा होता है।
    • नैतिक विकास सभी व्यक्तियों में समान नहीं होता।
    • शिक्षा नैतिक विकास को प्रभावित करती है।
    • पारिवारिक वातावरण नैतिक तर्क को आकार देता है।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत संज्ञानात्मक दृष्टिकोण पर आधारित है।



    • नैतिकता का विकास सामाजिक अनुभव से होता है।
    • कोहलबर्ग ने नैतिक व्यवहार से अधिक तर्क पर जोर दिया।
    • यह सिद्धांत CTET और TET परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    • शिक्षक नैतिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • कक्षा चर्चा नैतिक तर्क को विकसित करती है।
    • कोहलबर्ग के चरण अपरिवर्तनीय माने जाते हैं।
    • व्यक्ति चरणों को क्रम से ही पार करता है।
    • नैतिक विकास संस्कृति से भी प्रभावित होता है।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत आलोचनाओं से भी जुड़ा है।
    • कैरोल गिलिगन ने इस सिद्धांत की आलोचना की।
    • गिलिगन ने देखभाल नैतिकता पर जोर दिया।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत पुरुष-केंद्रित माना गया।
    • इसके बावजूद यह शिक्षा में व्यापक रूप से प्रयुक्त है।
    • CTET में कोहलबर्ग से तथ्यात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं।
    • स्तर और चरण पर आधारित प्रश्न अधिक आते हैं।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत नैतिक शिक्षा का आधार है।
      कोहलबर्ग के अनुसार नैतिक विकास सोच की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
    • नैतिक तर्क व्यवहार से अधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
    • कोहलबर्ग का सिद्धांत संज्ञानात्मक विकास से जुड़ा है।
    • यह सिद्धांत बालक के निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है।
    • नैतिक विकास में सामाजिक अंतःक्रिया की अहम भूमिका होती है।
    • बालक नियमों को समझकर नैतिक निर्णय लेना सीखता है।
    • प्रारंभिक अवस्था में दंड नैतिकता का आधार होता है।
    • पूर्व-परंपरागत स्तर में आत्मकेंद्रित सोच पाई जाती है।
    • इस स्तर में नैतिकता बाहरी नियंत्रण पर आधारित होती है।
    • परंपरागत स्तर में सामाजिक अपेक्षाएँ प्रमुख होती हैं।
    • बालक समाज के नियमों को आंतरिक रूप से स्वीकार करता है।
    • परंपरागत स्तर में कर्तव्यबोध विकसित होता है।
    • अच्छा व्यवहार सामाजिक प्रशंसा से जुड़ा होता है।
    • कानून व्यवस्था को बनाए रखना नैतिक कर्तव्य माना जाता है।
    • उत्तर-परंपरागत स्तर में नैतिकता व्यक्तिगत सिद्धांतों पर आधारित होती है।
    • इस स्तर में व्यक्ति नियमों पर प्रश्न उठाता है।



  • मानव अधिकारों को सर्वोच्च माना जाता है।
  • नैतिक निर्णय तर्क और विवेक से लिए जाते हैं।
  • कोहलबर्ग के अनुसार सभी व्यक्ति अंतिम स्तर तक नहीं पहुँचते।
  • अधिकांश वयस्क परंपरागत स्तर पर ही रह जाते हैं।
  • नैतिक विकास में शिक्षा सहायक भूमिका निभाती है।
  • शिक्षक नैतिक दुविधाओं के माध्यम से विकास कर सकते हैं।
  • कक्षा में चर्चा नैतिक सोच को प्रोत्साहित करती है।
  • कोहलबर्ग का सिद्धांत औपचारिक शिक्षा से जुड़ा है।
  • यह सिद्धांत नैतिक शिक्षा की योजना में सहायक है।
  • कोहलबर्ग ने नैतिकता को तर्कसंगत प्रक्रिया माना।
  • नैतिकता केवल भावना पर आधारित नहीं होती।
  • कोहलबर्ग का सिद्धांत पश्चिमी संस्कृति पर आधारित माना जाता है।
  • इस सिद्धांत की सार्वभौमिकता पर प्रश्न उठाए गए हैं।
  • फिर भी यह सिद्धांत शिक्षा मनोविज्ञान में महत्वपूर्ण है।
  • CTET में कोहलबर्ग के स्तरों पर सीधे प्रश्न आते हैं।
  • चरणों के क्रम से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।
  • नैतिक विकास आयु के साथ बढ़ता है।
  • नैतिक विकास अनुभवों से प्रभावित होता है।
  • परिवार नैतिक सोच का प्रारंभिक स्रोत होता है।
  • सहपाठी समूह नैतिक विकास को प्रभावित करता है।
  • सामाजिक वातावरण नैतिक मान्यताओं को आकार देता है।
  • कोहलबर्ग के चरण एक-दूसरे से गुणात्मक रूप से भिन्न होते हैं।
  • चरणों को छोड़ा नहीं जा सकता।
  • हर नया चरण पूर्व चरण से अधिक उन्नत होता है।
  • नैतिक विकास में तर्क की जटिलता बढ़ती जाती है।
  • नैतिक दुविधाएँ सोच को परिपक्व बनाती हैं।
  • कोहलबर्ग का सिद्धांत मूल्य शिक्षा से संबंधित है।
  • नैतिक विकास जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • कोहलबर्ग ने नैतिकता को सीखने योग्य माना।
  • नैतिक शिक्षा समाज निर्माण में सहायक है।
  • शिक्षक का व्यवहार नैतिक आदर्श प्रस्तुत करता है।
  • कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत बालक की नैतिक सोच को समझने में सहायक है।



 

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