BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR PAPER S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER
| टॉपिक | बिहार डी.एल.एड सेकेण्ड ईयर S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र |
| कोर्स | बिहार डी.एल.एड |
| ईयर | सेकेण्ड ईयर |
| विषय कोड | S-1 |
| विषय का नाम | समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा |
| SUBJECT | Smkalin bhartiy samaj me shiksha previous year question paper , |
VVI NOTES के इस पेज में बिहार डी.एल .एड सेकेण्ड इयर के पेपर S 1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा के पिछले साल के प्रश्न को शामिल किया गया है | जल्द ही इन सभी प्रश्नों का उत्तर भी दिया जायेगा |
समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा 2025 क्वेश्चन पेपर




Bihar DElEd 2nd Year Smkalin bhartiy samaj me shiksha Previous year question paper 2025
परीक्षार्थियों के लिए निर्देश :
1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें ।
2. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में हैं, खण्ड – ‘क’ एवं खण्ड- ‘ख’ ।
3. खण्ड – ‘क’ में विकल्प के साथ 6 लघु उत्तरीय प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक का उत्तर 75 से 100 शब्दों में देना है, प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है
4. खण्ड – ‘ख’ में कुल 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है, जिनमें से किन्हीं 4 प्रश्न का उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में देना है, जिसके लिए 10 अंक निर्धारित हैं
5. किसी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
Short Answer Type Questions
(1) समान विद्यालय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट करें । –5
What do you mean by Common School System ? Clarify.
अथवा / OR
“समावेशीकरण” से आप क्या समझते हैं ? वर्णन करें ।
What do you understand by “Inclusion” ? Describe.
2. भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ? व्याख्या करें । -5
What is the impact of Globalization on Indian education system ? Explain.
अथवा / OR
‘सामाजिक न्याय’ की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।
Explain the concept of ‘Social Justice’.
3. ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के अन्तर्गत सार्वत्रीकरण हेतु किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं ? व्याख्या करें ।-5
For universalization what types of efforts are being made under ‘Samagra Shiksha Abhiyan’ ? Explain.
अथवा / OR
समाज विद्यालय से अनेक प्रकार के कार्य करने की अपेक्षा रखता है । इनमें से किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख करें ।
Society expects to do a variety of tasks from schools. Describe any three tasks of them.
4. वंचित वर्ग से आप क्या समझते हैं ? इस वर्ग के अन्तर्गत कौन से लोगों को रखा गया है ? -5
What do you understand by deprived class? What kind of people are included in this class?
अथवा / OR
सामाजिक असमानता से आपका क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट करें
What do you mean by social inequality? Clarify.
5. भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें । -5
Describe the constitutional provisions related to education in the Constitution of India.
अथवा / OR
शैक्षिक नवाचार’ के उद्देश्य एवं महत्व का उल्लेख करें ।
Mention the objectives and importance of ‘Educational Innovation’.
(6) भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में सामाजिक न्याय के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख है ? अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए व्याख्या करें । -5
In which article of the Constitution of India are the Directive Principles of Social Justice described ? Write down the article and explain.
अथवा / OR
वर्तमान में विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित कौन से मुद्दे प्रमुख हैं ? उनका संक्षेप में वर्णन करें ।
What are the major issues related to school teachers at present ? Explain them briefly.
खण्ड – ख / Section – B
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में दें ।
Answer any four questions in approximately 200 to 250 words each.
7. विद्यालय में पढ़ने वाले विभिन्न धर्मों के विद्यार्थियों के मध्य धार्मिक सद्भाव / सौहार्द बनाए रखने के लिए आप कौन सी शैक्षणिक गतिविधियों को अपनाने चाहेंगे ? -10
What educational strategies would you like to adopt for maintaining religious goodwill/ harmony among the students of different religions studing in school?
(8) क्या समुदाय से कटकर किसी विद्यालय का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है ? इस संदर्भ में अपना तर्कपूर्ण अभिमत प्रस्तुत करें। -10
Can any school, by being separated from the community keep its existence secured ? Give your logical opinion in this reference.
(9) शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के सफलता पूर्वक क्रियान्वित होने में सामाजिक- आर्थिक संरचना किस प्रकार से बाधक है ? एक शिक्षक के रूप में आप उसका समाधान कैसे करेंगे ? – 10
How is the socio-economic structure a hurdle to successful implementation of the Right to Education Act-2009 ? How will you find its solution as a teacher ?
(10) वर्तमान में प्रचलित शैक्षिक नीतियों की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डालिए । -10
Throw light in detail on the achievements of educational policies currently in trend.
(11) निम्नांकित में से किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें : 2 × 5 = 10
(क) शिक्षा का सार्वभौमीकरण
(ख) अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा
(ग) सामाजिक न्याय ।
Write short notes on any two of the following:
(a) Universalization of education
(b) Compulsory and free education
(c) Social justice.
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BIHAR D.El.Ed 2nd YEAR S1 समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा Previous Year Question Solution |
प्रश्न-1 समान विद्यालय प्रणाली से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट करें। -2025
उत्तर:
समान विद्यालय प्रणाली से आशय ऐसी शिक्षा व्यवस्था से है जिसमें सभी बच्चों को, उनके सामाजिक-आर्थिक, जातिगत, भाषिक या सांस्कृतिक भेदभाव से ऊपर उठकर, समान गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रणाली में सरकारी, निजी और अन्य प्रकार के विद्यालयों के बीच गुणवत्ता, संसाधनों और अवसरों का अंतर समाप्त करने पर जोर दिया जाता है। समान विद्यालय प्रणाली का उद्देश्य शिक्षा को न्यायसंगत, समावेशी और बराबरी पर आधारित बनाना है ताकि हर बच्चा विद्यालय में समान अवसर पाकर अपनी क्षमता के अनुरूप विकास कर सके। यह व्यवस्था समाज में समानता और सामाजिक न्याय को भी मजबूत करती है।
——— समाप्त ——–
उत्तर:-
समावेशीकरण से आशय ऐसी शैक्षिक प्रक्रिया से है जिसमें सभी प्रकार के विद्यार्थियों—विशेष आवश्यकता वाले, सामाजिक या आर्थिक रूप से वंचित, भिन्न भाषा या संस्कृति वाले—को एक ही सामान्य कक्षा में समान अवसर देकर पढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों के बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त कर एक सहायक, सहयोगी और स्वीकार्य वातावरण तैयार करना है। समावेशीकरण में शिक्षक शिक्षण पद्धति, साधन और गतिविधियों को विद्यार्थियों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप ढालते हैं। इस प्रक्रिया से सभी छात्रों में आत्मविश्वास, सहभागिता और सामाजिक संवेदनशीलता बढ़ती है तथा शिक्षा व्यवस्था अधिक न्यायपूर्ण बनती है।
—- समाप्त —-
प्रश्न:-2 भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है? व्याख्या करें।-2025
उत्तर
वैश्वीकरण का भारतीय शैक्षिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप शिक्षा में गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा और तकनीकी उपयोग में वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम, बहुराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों का सहयोग तथा शोध और नवाचार पर जोर बढ़ा है। ऑनलाइन शिक्षा, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल साधनों का व्यापक उपयोग शुरू हुआ। रोजगारपरक और कौशल-आधारित शिक्षा को महत्व मिला, जिससे विद्यार्थियों में वैश्विक बाज़ार के अनुरूप दक्षताएँ विकसित हुईं। साथ ही, अंग्रेज़ी माध्यम और निजी शिक्षा का विस्तार हुआ। हालांकि, वैश्वीकरण ने शिक्षा में असमानताओं को भी बढ़ाया, क्योंकि सभी को समान संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाए।
—- समाप्त —
अथवा / OR
प्रश्न – ‘सामाजिक न्याय’ की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।
Explain the concept of ‘Social Justice’.
उत्तर-
सामाजिक न्याय वह स्थिति है जिसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर, अधिकार और संसाधनों तक निष्पक्ष पहुँच प्राप्त हो। इसका उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक तथा राजनैतिक असमानताओं को दूर करना है ताकि कोई भी व्यक्ति जाति, वर्ग, लिंग, धर्म या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का शिकार न बने। सामाजिक न्याय समावेशन, समानता, मानव गरिमा और अधिकारों की रक्षा पर आधारित होता है। यह समाज में कमजोर और वंचित वर्गों को संरक्षण, अवसर तथा सशक्तिकरण प्रदान करता है, जिससे समाज में संतुलन, सौहार्द और न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित होती है।
प्रश्न- 3.’समग्र शिक्षा अभियान’ के अन्तर्गत सार्वत्रीकरण हेतु किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं ? व्याख्या करें ।-5
Q- For universalization what types of efforts are being made under ‘Smagr Shiksha Abhiyan’ ? Explain.
उत्तर –
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षा के सार्वत्रीकरण हेतु अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत 6 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एवं नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना मुख्य लक्ष्य है। विद्यालयों में आधारभूत संरचना जैसे कक्षाएँ, शौचालय, पेयजल, विद्युत व खेल सामग्री को मजबूत किया जा रहा है। विशेष रूप से बालिकाओं, दिव्यांग बच्चों और सामाजिक रूप से वंचित समूहों के लिए समावेशी शिक्षा सुनिश्चित की जा रही है। शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षण-सीखने की सामग्री, डिजिटल शिक्षा, आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों की पहचान और नामांकन जैसी गतिविधियों पर जोर दिया गया है, ताकि सभी बच्चों की निरंतर और समान भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
अथवा / OR
प्रश्न- समाज विद्यालय से अनेक प्रकार के कार्य करने की अपेक्षा रखता है । इनमें से किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख करें ।
Q- Society expects to do a variety of tasks from schools. Describe any three tasks of them.
उत्तर
समाज विद्यालय से विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने की अपेक्षा रखता है।
(1) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना: विद्यालय से अपेक्षा है कि वह विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और मूल्यों से समृद्ध करे तथा उन्हें जीवनोपयोगी शिक्षा दे।
(2) सामाजिक मूल्यों का विकास: विद्यालय बच्चों में अनुशासन, जिम्मेदारी, सहयोग, सहिष्णुता, समानता और नैतिकता जैसे सामाजिक व नैतिक मूल्यों का विकास करता है, जिससे वे अच्छे नागरिक बन सकें।
(3) सर्वांगीण विकास: विद्यालय का दायित्व है कि वह शैक्षिक उपलब्धि के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के अवसर भी प्रदान करे, ताकि विद्यार्थी संतुलित व्यक्तित्व विकसित कर सकें।
प्रश्न- 4. वंचित वर्ग से आप क्या समझते हैं ? इस वर्ग के अन्तर्गत कौन से लोगों को रखा गया है ? 2025
What do you understand by deprived class? What kind of people are included in this class?
उत्तर-
वंचित वर्ग से आशय उन व्यक्तियों या समूहों से है जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक या सांस्कृतिक कारणों से मुख्यधारा से पीछे रह जाते हैं। इन लोगों को संसाधनों, अवसरों और सुविधाओं तक समान पहुँच नहीं मिल पाती, जिससे वे विकास प्रक्रियाओं में पूर्ण भागीदारी नहीं कर पाते। इस वर्ग में मुख्यतः गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अल्पसंख्यक समुदाय, शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति, अनाथ बच्चे, प्रवासी और बेघर लोग शामिल किए जाते हैं। इन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में विशेष सहायता की आवश्यकता होती है।
अथवा / OR
प्रश्न- सामाजिक असमानता से आपका क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट करें
Q-What do you mean by social inequality? Clarify.
सामाजिक असमानता से अभिप्राय समाज में उपलब्ध संसाधनों, अवसरों, सुविधाओं और अधिकारों का व्यक्तियों या समूहों में असमान रूप से बंटना है। जब कुछ वर्ग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सम्मान और सामाजिक स्थिति जैसे क्षेत्रों में अधिक अवसर प्राप्त करते हैं, जबकि अन्य वर्ग वंचित रह जाते हैं, तो इसे सामाजिक असमानता कहा जाता है। यह जाति, वर्ग, लिंग, धर्म, आर्थिक स्थिति, भाषा या संस्कृति के आधार पर उत्पन्न हो सकती है। सामाजिक असमानता का परिणाम यह होता है कि समाज में भेदभाव, पिछड़ापन और अन्याय बढ़ता है, जिससे समानता और सामाजिक समरसता प्रभावित होती है।
प्रश्न- 5. भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करें । -5
Q- Describe the constitutional provisions related to education in the Constitution of India.
भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान शामिल हैं। अनुच्छेद 21A के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 45 में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा की व्यवस्था करने की राज्य की जिम्मेदारी बताई गई है। अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा तथा शैक्षिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार देते हैं। अनुच्छेद 46 अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों की शिक्षा व आर्थिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है। ये प्रावधान शिक्षा को समानता और सामाजिक न्याय से जोड़ते हैं।
अथवा / OR
प्रश्न- शैक्षिक नवाचार’ के उद्देश्य एवं महत्व का उल्लेख करें ।
Q- Mention the objectives and importance of ‘Educational Innovation’.
उत्तर –
शैक्षिक नवाचार का उद्देश्य शिक्षण–अधिगम प्रक्रिया में नई, सृजनात्मक और प्रभावी विधियों को शामिल करना है, ताकि शिक्षा अधिक रोचक, उपयोगी और विद्यार्थी-केंद्रित बन सके। इसके माध्यम से पारंपरिक शिक्षण की सीमाएँ दूर होती हैं और सीखने के बेहतर अवसर उत्पन्न होते हैं। नवाचार का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह विद्यार्थियों की रुचि, सहभागिता, समझ और कौशल को विकसित करता है। तकनीक, प्रोजेक्ट-आधारित सीखना, प्रयोगात्मक गतिविधियाँ और नई शिक्षण रणनीतियाँ विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन से जोड़ती हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता सुधरती है, शिक्षक की दक्षता बढ़ती है तथा विद्यालय में रचनात्मक और प्रेरक वातावरण बनता है।
प्रश्न- (6) भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में सामाजिक न्याय के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख है ? अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए व्याख्या करें । -5
Q- In which article of the Constitution of India are the Directive Principles of Social Justice described ? Write down the article and explain.
भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय से संबंधित नीति-निदेशक सिद्धांत मुख्यतः अनुच्छेद 38 में वर्णित हैं। अनुच्छेद 38 राज्य को यह निर्देश देता है कि वह ऐसा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक वातावरण बनाए, जिसमें सामाजिक न्याय और समान अवसर सभी नागरिकों को मिल सकें। इसका उद्देश्य असमानताओं को कम करना, कमजोर वर्गों की सुरक्षा करना और समाज में समरसता स्थापित करना है। इसी के साथ राज्य पर यह जिम्मेदारी भी डाली गई है कि वह संपत्ति, धन और साधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करे। इन सिद्धांतों के माध्यम से संविधान एक न्यायपूर्ण और समानतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अथवा / OR
प्रश्न-वर्तमान में विद्यालय के शिक्षकों से संबंधित कौन से मुद्दे प्रमुख हैं ? उनका संक्षेप में वर्णन करें ।
Q- What are the major issues related to school teachers at present ? Explain them briefly.
उत्तर –
वर्तमान समय में विद्यालय के शिक्षकों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे उजागर होते हैं। सबसे प्रमुख समस्या बढ़ता कार्यभार है, जिसमें शिक्षण के साथ-साथ गैर-शैक्षिक कार्यों का दबाव शिक्षकों की दक्षता को प्रभावित करता है। प्रशिक्षण की कमी और नई तकनीकों के प्रति सीमित दक्षता भी एक बड़ी चुनौती है। कई विद्यालयों में संसाधनों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कठिन हो जाता है। शिक्षकों को अनुशासन, विविधता प्रबंधन और समावेशी कक्षाओं को संभालने में भी कठिनाइयाँ आती हैं। इसके अलावा, कम वेतन, सामाजिक सम्मान में कमी और अभिभावकों की बढ़ती अपेक्षाएँ शिक्षकों की भूमिका को और जटिल बनाती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 200 से 250 शब्दों में दें ।
Answer any four questions in approximately 200 to 250 words each.
प्रश्न-7. विद्यालय में पढ़ने वाले विभिन्न धर्मों के विद्यार्थियों के मध्य धार्मिक सद्भाव / सौहार्द बनाए रखने के लिए आप कौन सी शैक्षणिक गतिविधियों को अपनाने चाहेंगे ? -10
Q-What educational strategies would you like to adopt for maintaining religious goodwill/ harmony among the students of different religions studing in school?
उत्तर-
भूमिका :
भारत विविधताओं का देश है जहाँ अनेक धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग रहते हैं। विद्यालय समाज का एक छोटा रूप होता है, जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्यार्थी एक साथ शिक्षा प्राप्त करते हैं। ऐसे वातावरण में धार्मिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी आपसी सम्मान, सहयोग और भाईचारे की भावना विकसित कर सकें। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों का निर्माण करना भी है।
धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए विद्यालय में निम्न शैक्षणिक गतिविधियाँ अपनाई जा सकती हैं –
- सामूहिक प्रार्थना एवं प्रार्थना सभा – सभी धर्मों की प्रार्थनाओं, शांति मंत्रों या प्रेरणादायी विचारों को शामिल कर विद्यार्थियों को समानता का अनुभव कराया जा सकता है।
- नैतिक शिक्षा एवं मूल्य शिक्षा – पाठ्यक्रम में धार्मिक ग्रंथों से लिए गए सार्वभौमिक नैतिक संदेशों को शामिल कर विद्यार्थियों को सहिष्णुता और करुणा का महत्व समझाया जा सकता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम – विभिन्न धर्मों के त्योहारों पर नाटक, गीत, नृत्य और प्रदर्शनी आयोजित कर विद्यार्थियों को एक-दूसरे की परंपराओं से परिचित कराया जा सकता है।
- समूह चर्चा और परियोजना कार्य – धार्मिक सद्भाव पर आधारित चर्चाएँ और संयुक्त परियोजनाएँ विद्यार्थियों में सहयोग और समझ बढ़ाती हैं।
- सामाजिक सेवा गतिविधियाँ – सभी धर्मों के विद्यार्थी मिलकर सेवा कार्य करें, जैसे स्वच्छता अभियान या गरीबों की सहायता, जिससे एकता और मानवता की भावना मजबूत होती है।
निष्कर्ष :
विद्यालय में धार्मिक सद्भाव बनाए रखना विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। जब बच्चे विभिन्न धर्मों की परंपराओं और मूल्यों को समझते हैं, तो उनमें सहिष्णुता, सहयोग और भाईचारे की भावना विकसित होती है। इस प्रकार विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकात्मता का आधार बन जाता है।
प्रश्न-(8) क्या समुदाय से कटकर किसी विद्यालय का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है ? इस संदर्भ में अपना तर्कपूर्ण अभिमत प्रस्तुत करें। -10
Q- Can any school, by being separated from the community keep its existence secured ? Give your logical opinion in this reference.
भूमिका:
विद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्था मात्र नहीं है; यह उस समुदाय का एक अभिन्न अंग है जिसमें यह स्थित है। एक विद्यालय और उसके आस-पास का समुदाय पारस्परिक निर्भरता के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। विद्यालय, समुदाय के बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है, जिससे भविष्य के जागरूक और जिम्मेदार नागरिक तैयार होते हैं। इसके बदले में, समुदाय विद्यालय को मानवीय, भौतिक और नैतिक समर्थन प्रदान करता है।
तर्कपूर्ण अभिमत: अस्तित्व की असुरक्षा के कारण
समुदाय से कटकर विद्यालय का अस्तित्व सुरक्षित नहीं रह सकता, इसके निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं:
-
संसाधनों की कमी: समुदाय ही विद्यालय को छात्र (जिनके बिना विद्यालय का कोई अर्थ नहीं), शिक्षक (स्थानीय समर्थन और भागीदारी से भर्ती), और वित्तीय/भौतिक संसाधन (चंदा, सहयोग, भूमि आदि) प्रदान करता है। यदि यह समर्थन समाप्त हो जाए, तो विद्यालय का संचालन मुश्किल हो जाएगा।
-
प्रासंगिकता का अभाव:- एक अलग-थलग विद्यालय समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं और सांस्कृतिक मूल्यों से अनभिज्ञ हो जाएगा। ऐसे में, उसके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा असंगत और अप्रभावी हो सकती है, जिससे अभिभावक अपने बच्चों को वहाँ भेजना बंद कर सकते हैं।
-
उत्तरदायित्व और निरीक्षण:- समुदाय, विद्यालय के प्रदर्शन के लिए जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सामुदायिक भागीदारी के बिना, विद्यालय में गुणवत्ता नियंत्रण और सुधार की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
-
सुरक्षा और सहयोग:- विद्यालय की सुरक्षा और सुचारू कार्यप्रणाली के लिए स्थानीय समुदाय का सहयोग और समर्थन अत्यंत आवश्यक है। संकट के समय, बाहरी समर्थन के बिना विद्यालय स्वयं को असुरक्षित महसूस कर सकता है।
निष्कर्ष-
अतः, यह स्पष्ट है कि किसी भी विद्यालय का अस्तित्व तभी सुरक्षित रह सकता है जब वह अपने समुदाय के साथ मजबूत, सकारात्मक और सहयोगात्मक संबंध बनाए रखता है। समुदाय से कटना आत्मघाती कदम होगा, क्योंकि यह विद्यालय के उद्देश्य, उपयोगिता और अस्तित्व की नींव को ही कमजोर कर देगा। सफल और स्थायी विद्यालय वही होते हैं जो सामुदायिक भागीदारी को शिक्षा का अपरिहार्य हिस्सा मानते हैं।
प्रश्न-(9) शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के सफलता पूर्वक क्रियान्वित होने में सामाजिक- आर्थिक संरचना किस प्रकार से बाधक है ? एक शिक्षक के रूप में आप उसका समाधान कैसे करेंगे ? – 10
Q-How is the socio-economic structure a hurdle to successful implementation of the Right to Education Act-2009 ? How will you find its solution as a teacher ?
भूमिका :
शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 (RTE) का उद्देश्य 6–14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह अधिनियम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, समान अवसर, बाल-अनुकूल वातावरण तथा सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। परंतु भारत की सामाजिक–आर्थिक संरचना इसके प्रभावी क्रियान्वयन में कई बाधाएँ उत्पन्न करती है।
मुख्य भाग :
सामाजिक–आर्थिक असमानताएँ RTE के सफल कार्यान्वयन में प्रमुख व्यवधान हैं।
पहली बात, गरीबी के कारण अनेक परिवार बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय श्रम में लगाते हैं। निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा की अपेक्षा जीविका अधिक प्राथमिकता बन जाती है।
दूसरी बात, सामाजिक भेदभाव—जाति, लिंग व समुदाय आधारित—भी कई बच्चों को शिक्षा से दूर रखता है। विशेषतः बालिकाएँ और वंचित वर्ग के बच्चे विद्यालयों में भेदभाव के डर से नियमित रूप से नहीं आ पाते।
तीसरी बात, जागरूकता की कमी के कारण कई अभिभावक RTE के प्रावधानों से परिचित नहीं हैं।
चौथी बात, सुविधाओं का असमान वितरण—ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव, खराब आधारभूत संरचना—भी बाधक बनती है।
एक शिक्षक के रूप में समाधान :
एक शिक्षक के रूप में मैं
-
अभिभावकों को नियमित रूप से जागरूक करूँगा कि शिक्षा दीर्घकालिक विकास का आधार है।
-
बाल श्रम के खिलाफ जनजागरण करूँगा और बच्चों को विद्यालय में बनाए रखने का प्रयास करूँगा।
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विद्यालय में समानता, सम्मान और सहयोग का वातावरण बनाऊँगा ताकि वंचित वर्ग के बच्चे सुरक्षित महसूस करें।
-
स्थानीय समुदाय और पंचायत के सहयोग से विद्यालय की सुविधाएँ सुधारने का प्रयास करूँगा।
-
नवाचारपूर्ण, रोचक एवं बाल-केंद्रित शिक्षण पद्धतियाँ अपनाकर बच्चों में सीखने की रुचि विकसित करूँगा।
निष्कर्ष :
अतः सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ RTE के पूर्ण क्रियान्वयन में अवरोध अवश्य पैदा करती हैं, परन्तु शिक्षक, समुदाय और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से इन्हें काफी हद तक कम किया जा सकता है। शिक्षा तभी सफल होगी जब समाज इसे समान अधिकार और अवसर के रूप में स्वीकार करे।
प्रश्न-(10) वर्तमान में प्रचलित शैक्षिक नीतियों की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डालिए । -10
Q-Throw light in detail on the achievements of educational policies currently in trend.
भूमिका :
भारत में वर्तमान शैक्षिक नीतियाँ—विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020)—देश की शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, कौशल-आधारित, बहुभाषीय और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इन नीतियों का उद्देश्य विद्यार्थियों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षित करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना तथा शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करना है।
प्रचलित शैक्षिक नीतियों की प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं—
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समग्र एवं बहुआयामी शिक्षा : NEP 2020 ने कला, विज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा और कौशलों को एक ही मंच पर लाकर शिक्षा को अधिक लचीला और जीवन-परक बनाया है।
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मूल्यांकन में सुधार : केवल अंक आधारित मूल्यांकन के स्थान पर सतत एवं समग्र मूल्यांकन (CCE), क्षमता-आधारित मूल्यांकन और सीखने के परिणामों पर विशेष बल दिया गया है।
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बाल्यावस्था शिक्षा का विस्तार : 3–6 वर्ष के बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य कर सीखने की आधारशिला मजबूत की गई है।
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डिजिटल शिक्षा का प्रोत्साहन : DIKSHA, SWAYAM, ई-लर्निंग ऐप, आभासी कक्षाओं आदि के माध्यम से शिक्षण को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाया गया है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।
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शिक्षक शिक्षा में सुधार : 4-वर्षीय एकीकृत B.Ed कार्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण, पेशेवर विकास और ICT आधारित शिक्षण ने शिक्षकों की गुणवत्ता में वृद्धि की है।
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समानता और समावेशन : वंचित वर्गों, बालिकाओं और दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष योजनाओं एवं छात्रवृत्तियों ने शिक्षा में पहुँच को बढ़ाया है।
निष्कर्ष :
अतः वर्तमान शैक्षिक नीतियों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक संरचनात्मक और गुणात्मक सुधार किए हैं। ये नीतियाँ न केवल विद्यार्थियों की संज्ञानात्मक क्षमताओं को विकसित करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन कौशल, रोजगार, नवाचार और नागरिक मूल्यों से भी समृद्ध करती हैं। इसलिए ये नीतियाँ भारत के शैक्षिक भविष्य को अधिक सशक्त और प्रगतिशील बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही हैं।
(ख) अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा
(ग) सामाजिक न्याय ।
(क) शिक्षा का सार्वभौमीकरण
उत्तर –
शिक्षा का सार्वभौमीकरण का अर्थ है कि समाज के प्रत्येक बच्चे—चाहे उसका लिंग, जाति, धर्म, भाषा, आर्थिक स्थिति या भौगोलिक स्थान कुछ भी हो—उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिले। इसका उद्देश्य शिक्षा को सबके लिए सुलभ, उपलब्ध, स्वीकार्य और अनिवार्य बनाना है। सार्वभौमीकरण में विद्यालयों का विस्तार, पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षित शिक्षक, निःशुल्क पाठ्य सामग्री, मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्तियाँ तथा विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए समावेशी व्यवस्था शामिल है। यह प्रक्रिया साक्षरता, सामाजिक समानता और राष्ट्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करने का आधार प्रदान करती है।
(ख) अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा-
उत्तर –
अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा का आशय है कि 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को बिना किसी शुल्क के गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) के अनुसार यह राज्य की जिम्मेदारी है कि हर बच्चे को विद्यालय में नामांकन, उपस्थिति और पूर्णता सुनिश्चित करे। इसमें मुफ्त पाठ्य सामग्री, स्कूल यूनिफॉर्म, मध्याह्न भोजन और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करती है कि कोई भी बच्चा आर्थिक या सामाजिक कारणों से शिक्षा से वंचित न रहे। यह नीति बाल श्रम को रोकने, साक्षरता बढ़ाने और सामाजिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
(ग) सामाजिक न्याय
उत्तर-
सामाजिक न्याय का अर्थ है समाज में सभी व्यक्तियों को समान अवसर, समान अधिकार और सम्मान प्रदान करना। शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है कि वंचित वर्गों—जैसे अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग, बालिकाएँ, दिव्यांग बच्चे तथा आर्थिक रूप से कमजोर समूह—को शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हों। इसके अंतर्गत छात्रवृत्तियाँ, आरक्षण, विशेष योजनाएँ, समावेशी कक्षाएँ, निःशुल्क सुविधाएँ एवं जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। सामाजिक न्याय का उद्देश्य भेदभाव को समाप्त कर समाज में समानता, सह-अस्तित्व और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है, ताकि सभी नागरिक सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।
- समकालीन भारतीय समाज में शिक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र
- Smkalin bhartiy samaj me shiksha previous year question paper
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