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बच्चो के समाजीकरण में समुदाय की भूमिका | Bchcho ke Samajik Vikas Me Smuday Ki Bhumika

बच्चो के समाजीकरण में समुदाय की भूमिका

 

प्रश्न बच्चो के समाजीकरण में समुदाय की भूमिका | 

Bchcho ke Samajik Vikas Me Smuday Ki Bhumika

कोर्स डी.एल.एड.  –  बी.एड.     –   CTET  –  SUPER TET  इत्यादी



 

प्रश्न –  बच्चो के समाजीकरण में समुदाय की भूमिका | 

उत्तर —

प्रस्तावना ⇒

बालक जब परिवार से बाहर निकलता है तब उसको सामुदायिक परिवेश में प्रवेश मिलता है। वह अपने पड़ोसी एवं सम्बन्धियों के यहाँ आने-जाने लगता है और वह अनेक प्रकार के सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेता है। इन कार्यक्रमों में भले ही बालक अपने माता-पिता एवं भाई-बहिन के साथ जाता है परन्तु उसके सामाजिक विकास पर इसका पूर्ण रूप से प्रभाव पड़ता है।

बालक के समाजीकरण  में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है | कहा जाता है की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | जिस समाज में बालक का विकास होगा , बालक उस समाज के अनुसार ही कार्य करेगा |अगर बालक का विकास रुदिवादी समाज में होगा तो बालक आगे जाकर रुदिवादी प्रवृति का होगा , एवं यदि अगर बालक का विकास सभ्य  समाज में होगा तो बालक सभ्य  होगा |अतः बालक के सामाजिक विकास में समुदाय की भूमिका को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-

बालक के समाजीकरण में समुदाय

(Balk ke Samajikrn me Samuday )

बालक के विकास पर समुदाय का प्रभाव
बालक के समाजीकरण में समुदाय इस प्रकार  भूमिका निभाता है –

  • 01. सामाजिक प्रभाव
  • 02. राजनीतिक प्रभाव
  • 03. आर्थिक प्रभाव
  • 04. सांस्कृतिक प्रभाव
  • 05. सांप्रदायिक प्रभाव
  • 06. सार्वभौमिक मांग-
  • 07. प्रारंभिक शिक्षा का विकास-
  • 08. माध्यमिक शिक्षा का विकास-
  • 09. उच्च शिक्षा
  • 10. अन्य

(01) सामाजिक प्रभाव-

समुदाय का प्रत्यक्ष प्रभाव बालक के सामाजिक विकास पर पड़ता है यहां उसका सामाजिकरण होता है अधिकार एवं कर्तव्य के ज्ञान के साथ-साथ स्वतंत्रता के अनुशासन की जानकारी भी होती है। उसे क्या करना है क्या नही करना है समुदाय से सी सीखना होता है | समुदाय में हो रहे क्रिया कलाप से प्रभावित होता है और उसी प्रकार वो भी करने की कोशिश करता है

(02) राजनीतिक प्रभाव –

बालक के समाजीकरण के साथ बालक पर राजनीतिक प्रभाव भी पड़ता  है। विद्यालयों में छात्र संघों के माध्यम से राजनीतिक संरचना का अनुभव मिलता है तथा समाज के राजनीतिक वातावरण के लिए बालक  तैयार हो जाते हैं।

(03) आर्थिक प्रभाव –

समुदाय की आर्थिक स्थिति का प्रत्यक्ष प्रभाव विद्यालयों तथा बालकों पर प्रकट होता है। संपन्न समुदायों में विद्यालय आकर्षक होते हैं और उस में पढ़ने वाले छात्रों को सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों का स्तर, जिला परिषदों के विद्यालयों से इसी कारण भिन्न होता है।

(04) सांस्कृतिक प्रभाव-

प्रत्येक समुदाय की अपने सांस्कृतिक होती है और उसका प्रभाव वहां के विद्यालयों तथा छात्रों पर पड़ना स्वाभाविक है।बोलचाल,व्यवहार, शब्दावली तथा शैली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है।

(05) सांप्रदायिक प्रभाव-

समुदायों में यदि एक से अधिक संप्रदायों के लोग रहते हैं और उसमें समरसता नहीं है तो ऐसे समाज में विद्यालयों का वातावरण दूषित हो जाता है।

(06) सार्वभौमिक मांग-

समुदाय, विद्यालय तथा शिक्षा की सार्वभौमिक मांग की पूर्ति करते हैं। शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए विद्यालयों की मांग बढ़ रही है और समुदाय उसे पूरा कर रहे हैं।

(07) प्रारंभिक शिक्षा का विकास-


सामुदायिक कार्य अपने छोटे छोटे बालकों के लिए समुदाय परिसर में विद्यालय खोलता है। इस प्रकार उनकी प्रारंभिक शिक्षा की व्यवस्था करता है।

(08) माध्यमिक शिक्षा का विकास-

समुदाय का प्रभाव माध्यमिक शिक्षा पर भी देखा जाता है। देश में माध्यमिक शिक्षा के विकास में समुदायों का योगदान प्रमुख है।

(09) उच्च शिक्षा⇒

भारतीय समुदायों ने उच्च शिक्षा के विकास पर भी बल दिया है। आज उच्च शिक्षा स्थानीय आवश्यकता हो तथा साधनों के अनुसार दी जाती है।

(10 ) अन्य




(1) सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेने से बालक समाज में भोजन करने, बात करने एवं अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने की विधियों को सीखता है। इससे बालक का सर्वांगीण विकास होता है।

(2) समुदाय के द्वारा ही बालक में प्रेम, सहयोग एवं त्याग की भावना का विकास होता है क्योंकि वह समाज में एक-दूसरे को सहायता करते हुए देखता है।

(3) समुदाय के द्वारा ही बालक में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक मूल्यों का विकास होता है; जैसे- ‘अतिथि देवो भव’ तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का मूल्य बालक में समुदाय द्वारा ही विकसित किया जा सकता है

(4) समुदाय के माध्यम से ही बालक अपने समाज की परम्पराओं एवं रीति रिवाजों को सीखता है, जिससे वह समाज की परम्पराओं का पालन कर सके।

(5) समुदाय के माध्यम से ही वह सामाजिक सम्बन्धों को पहचानता है तथा उन सम्बन्धियों के प्रति उसके कौन-कौन से कर्त्तव्य हैं उनको जानता है।

(6) समुदाय द्वारा ही बालक में मानवता एवं नैतिकता के मूल्यों का विकास होता है क्योंकि ये मूल्य समाज के सार्वभौमिक मूल्य हैं, जिनके आधार पर समाज का अस्तित्व होता है।

निष्कर्ष⇒ 

इस प्रकार  उपर लिखित बातो से स्पस्ट  है की बालक के सामाजिकरण में समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है | माँ- पिता , परिवार के बाद बालक पर सबसे ज्यादा प्रभाव समुदाय का ही पड़ता है | ⇒

बालक के सामाजिक विकास में समुदाय की भूमिका
Role of Community in Social Development of Child

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